Itkhori has a famous temple of Godess Bhadrakali, where a mingling of Hindu, Jain and Buddhist deities can be seen. Budd
hist
deity Tara can be seen here in black stone. It also has an inscription
of the time of the king Mahendra pal Deva. Dr. Grierson in his notes on
Gaya District has mentioned the Buddhist stupa at Bhadrakali complex
of Itkhori.
A Pair of foot prints is also visitable. It is
associated with Sheetal Nath the 10th Trithankar of Jainism. It is also
associated with Mallinath the 19th Tirthanker and Parswanath the 23rd
Tirthanker. The Hindus worship goddess Kali as Bhadrakali. The whole
area is full of historical and cultural heritages.
Itkhori
block is also famous for the goddess Bhagwati. Goddess Kali is worshiped
here as Jagdamba. People flock here to offer sacrifice and Mundan
sanskar. It has a scenic beauty and is a very good picnic spot.
ये है माँ के परिसर का मुख्य द्वार ..जिसके मात्र अन्दर प्रवेश करने से ही माँ का अभाश प्रतीत होने लगता है ।
इसके अन्दर प्रवेश करते ही आप एक सुन्दर और मन-भावन प्राकृति से आपकी मुलाकात होगी ।
घंटियों की आवः आपके कानो को भाती हुवी दिल तक और फिर वो आपके मस्तिस्क को एक अलग ही अनुभूति प्रदान करेगी जिसका वर्णन अक्षरों में करना अशम्भव है।
फिर आपको दर्शन होगा अति सुन्दर साधारण एक अदभूत नजारा जो आपको नयन सुख की एक अलग ही अनुभूति प्रदान करेगी।
इस मंदिर के अन्दर प्रवेश करते ही आपको एक अदभुत उर्जा का अभाश होगा जो आपके शरीर और मन को काफी अच्छा महशुस होगा ।
फिर आपको दर्शन होगा माँ के उस सौर्य का जो आपके आखों में बश जायेगा। माँ के दर्शन मात्र से ही आपका मन जो एक सूछ्म सरीर है इस मृत्युतुल्य सरीर के अन्दर जो निराकार है वह पवित्र हो जायेगा। माँ के आगे नतमस्तक हो कर सच्चे दिल से जो भी माँगा जायेगा माँ उस मुराद को अवश्य पूरा करती है ।
ये हमारी माँ की एक अनोखी तस्वीर है जिसे देखने मात्र से आपको काफी अच्छा महशुश होगा ।
मंदिर प्रांगन में और व् कई भगवन विरजमान है जिसके दर्शन करने लोग आते है ।उनमे सबसे पहले है बहुमुखी हनुमान जी की प्रतिमा जिसका शास्त्रों में एक अलग ही महत्व है ।
पंचमुखी राम-भक्त हनुमान
इनके अलावा यहाँ भगवन शिव की अदभूत लिंगे यहाँ है जिन पर एक बार जल चढाने से हजारो बार जल चढाने का फल प्राप्त होता है ।
भद्रकाली मंदिर परिसर में है यह अदभूत शिव-लिंग । इसे मनौती स्तूप भी कहते है
दर्शन करने से मनोकामना पूरी होती है।
उपर की दोनों तस्वीर माँ के प्रांगन में चल रहे खुदाई के क्रम में पाई गयी है । झारखण्ड सर्कार और स्थानीय प्रशाशन के लापरवाही की वजह से आज तक इनके बारे में कोई खास जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है । जहा तक मै समझता हु यहाँ पैर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा जैसी संस्कृति माँ के परिसर में दबी हो सकती है ।
नोट : समयानुसार जानकारी मिलने के साथ यह ब्लॉग में अधिक से अधिक जानकारि उपलब्ध करायी जाएगी ।